उच्च माध्यमिक में मिला उच्च प्राप्तांक, कॉलेज-विवि में मचेगी दाखिले की होड़

कोलकाता : इस वर्ष उच्च माध्यमिक की परीक्षा के दौरान कोरोना वायरस का कहर बरपा और लॉकडाउन की वजह से परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया। कुल 14 ऐसे विषय थे, जिनकी परीक्षा नहीं हो सकी। इस वजह से विद्यार्थियों को अन्य वर्षों की तुलना में प्राप्तांक तो ज्यादा मिले लेकिन इससे उनकी समस्याएं आसान नहीं होने वाली हैं। अब तक सीबीएसई और सीआईएससीई काउंसिल की परीक्षाओं में अधिक प्राप्तांक के कारण अच्छे कॉलेजों में दाखिले के लिए विद्यार्थियों के बीच होड़ मच जाती थी। अब ऐसी ही परिस्थिति पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यार्थियों के बीच भी बनने वाली है।

हालांकि उच्च माध्यमिक काउंसिल के एक अधिकारी का कहना है कि सामान्य स्नातक कोर्सों के अतिरिक्त टेक्निकल और पेशेवर कई कोर्स हैं। इसलिए विद्यार्थियों को दाखिला मिलने में अधिक समस्या नहीं होनी चाहिए। दूसरी तरफ लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज की प्रिंसिपल शिउली सरकार का कहना है कि उच्च माध्यमिक स्कूलों की तुलना में राज्य में कॉलेज-विश्वविद्यालयों की संख्या काफी कम है। इसलिए अधिक प्राप्तांक का अधिक फायदा विद्यार्थियों को नहीं मिलने वाला। हाँ, अधिक अंक मिलने का एक नुकसान विद्यार्थियों को जरुर होगा कि स्नातक या स्नातकोत्तर विषयों में अधिक अंक नहीं मिलते हैं। खासकर कला विभाग में तो बहुत कम मिलते हैं। अंकों के अचानक कम हो जाने से विद्यार्थियों की मानसिक अवस्था पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। उनका कहना है कि उच्च माध्यमिक की परीक्षा में अंक प्रदान करते समय यदि थोड़ा सोच-विचार किया जाता तो ज्यादा अच्छा होता। प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के अध्यापक गांधी कर ने कहा, ‘हमारे विश्वविद्यालय में यदि कोई विद्यार्थी रसायन विषय में दाखिला लेना चाहता है तो उसका प्राप्तांक रसायन में 75 प्रतिशत होने के साथ-साथ कुल प्राप्तांक भी कम से कम 75 प्रतिशत होना अनिवार्य है। इसलिए कई बार तो ऐसा भी देखा जाता है कि विद्यार्थी को उच्च माध्यमिक में तो बहुत अधिक प्राप्तांक मिला है, किन्तु प्रवेश परीक्षा में वह सफल नहीं हो पाता है।’ वहीं जादवपुर विश्वविद्यालय के अध्यापक श्यामंतक दास का कहना है कि इस वर्ष तो प्रवेश परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं है। इसलिए प्राप्तांकों के आधार पर ही दाखिला देना होगा। ऐसे में कुल प्राप्तांक की तुलना में बांग्ला, अंग्रेजी, हिन्दी आदि भाषा विषयों के प्राप्तांक पर अधिक जोर देना होगा।

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