“भारतीयों को तर्कसंगत संवाद के लिए उचित जगह की ज़रूरत”

अनंत विजय द्वारा लिखी गई नयी पुस्तक ‘मार्क्सवाद का अर्धसत्य’ का हुआ विमोचन

कोलकाता: भारतवर्ष में रहनेवाले लोगों को अभी एक ऐसे माहौल ऐसे जगह की ज़रूरत है, जहां लोग एक दूसरे से बातचीत और संवाद कर सकें, जिसमें मार्क्सवादियों की तरह नहीं बल्कि भारतीय अपने तर्कसंगत विचार रख सके। लेखक अनंत विजय द्वारा लिखी गई नयी पुस्तक ‘मार्क्सवाद का अर्धसत्य’ के विमोचन समारोह में लेखक ने यह बातें कही। कोलकाता के प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम किताब सत्र में इस पुस्तक का लोकार्पण किया गया। इस पुस्तक में मार्क्सवादियों के दोहरे चरित्रों पर तीखी आलोचना की गई है, जिसके बारे में वे कहते हैं, वे कभी भी इसका अत्ममंथन नहीं करते कि वे क्या उपदेश दे रहे हैं।

लेखक के साथ देशभर के प्रख्यात साहित्यकार, विद्वान, पुस्तक प्रेमी, छात्र और पत्रकार इस पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में ऑनलाइन पद्दति के जरिये एक घंटे के लंबे सत्र में शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद श्री भूपेन्द्र यादव एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री विश्वंभर नेवर ने सत्र को हरी झंडी दिखाते हुए कहा: “अनंत की पुस्तक हमें मार्क्सवादियों के बारे में सच्चाई को गहराई से जानने में हमारी मदद करती है और काफी करीब से इसके तथ्यों को दर्शाती है। मार्क्सवादी गरीबी को ढाल बनाकर सत्ता हासिल करते हैं, जबकि गरीबी को खत्म करना उनके एजेंडे में ही कभी नहीं रहा।”

लोकार्पण के मौके पर विजय ने एक सवाल के जवाब में कहा, “मेरी पुस्तक मार्क्सवाद के खिलाफ नहीं है, इस पुस्तक में मार्क्सवादियों और उनके दोहरे चरित्रों के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी है। मार्क्सवाद को लेकर मैं केवल यही कहता हूं कि पूरे ग्रंथ में कहीं भी पर्यावरण का उल्लेख नहीं है। मुझे लगता है कि इसपर मार्क्सवाद का एक प्रमुख विचार हो सकता था।‘’

लेखक, जो खुद कलामकर फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं। वह भारतीय भाषाओं में अपनी कलम से अक्सर विचार व्यक्त करते रहते हैं उन्होंने एक सतर्क टिप्पणी की: “हालांकि लोगों ने दुनिया भर में मार्क्सवाद को खारिज कर दिया है, लेकिन अबतक इनकी विचारधाराएं जड़ से खत्म नहीं हो पा रही हैं। वे अपने अनुयायियों से बाहर भाग सकते हैं, हालांकि मार्क्सवादी फीनिक्स की तरह हैं, हमेशा उठने, घटने और हावी होने के लिए तैयार रहते हैं।‘’  

प्रभा खेतान फाउंडेशन के संदीप भूतोरिया ने कहा कि अनंत विजय की पुस्तक गहन शोध और मार्क्सवादियों के वैकल्पिक दृष्टिकोण और दृष्टिकोण की परिणति का सारांश रूप है। मार्क्सवादियों को लेकर उनके तीखे और विस्मयकारी रूप को रॉक-रिबेड में दिये विचारों को केस स्टडी के रुप में समर्थित कर इसमें एक कैंडर के साथ प्रस्तुत किया गया है। इस विषय पर उनका सावधानीपूर्वक दृष्टिकोण उनके पत्रकारिता कौशल का जीता-जागता प्रमाण है।

किताब, कोलकाता की सुप्रसिद्ध सामाजिक संस्था प्रभा खेतान फाउंडेशन की एक पहल है, जो लेखकों के साथ बुद्धिजीवियों, पुस्तक प्रेमियों और साहित्यकारों को जोड़कर पुस्तक लॉन्च के लिए एक मंच प्रदान करता है। शशि थरूर, विक्रम संपत, सलमान खुर्शीद, कुणाल बसु, वीर सांघवी, विकास झा, ल्यूक कुतिन्हो जैसे प्रख्यात लेखक इससे पहले किताब के सत्र की शुरुआत कर चुके हैं।

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