डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘वह थी कौन?’

डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

वह थी कौन?

मुझे वह दिन याद है
जब कालेज में
उसने मुझसे कहा था-
क्या गेंद से खेल रहा है?
अगर खेलना है तो
मेरे काले, घुंघराले बालों से खेल
मेरे रेशमी आंचल से खेल
मेरे ख्वाबों,ख्यालों से खेल
इन्द्रधनुषी बादलों से खेल।
तब मैंने कहा था उस वक्त
इतनी मेरी औकात नहीं
यह मेरे वश की बात नहीं।
वह हंसी थी यह सुनकर
और बोली थी-अरे पागल!
अगर बादल यह सोचता
तो आसमान पर टिकता?
चल उठ लगा ले मुझे गले
तुम लगते हो आदमी भले।
तभी बीवी ने जगा दिया मुझे
और टूट गया मेरा सपना
आज मैं सोचकर हो जाता हूँ मौन
बार-बार पूछता हूँ
वह मेरी थी कौन?

◆ डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

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