‘ख़ाकी’ की कलम से ‘गज़ल’ की गली (23)

मुरलीधर शर्मा ‘तालिब’, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), कोलकाता पुलिस

गजल संग्रह : हासिल-ए-सहरा नवर्दी

टूटता क्या है एक ठोकर से
पूछकर देखिएगा पत्थर से

तन्हा-तन्हा थे ये घने बादल
मेरे आँगन में आज आ बरसे

ये अंधेरे हैं घर मिरे मेहमाँ
अब हटा दीजे रौशनी घर से

दर पे आकर बहार क्यों लौटी
बाग़-ए-दिल आज है बहुत तरसे

हादसा फिर कोई न हो ‘तालिब’
आज शायद वो निकलेगा घर से

■ मुरलीधर शर्मा ‘तालिब’, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), कोलकाता पुलिस

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