‘ख़ाकी’ की कलम से ‘गज़ल’ की गली (14)

मुरलीधर शर्मा ‘तालिब’, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), कोलकाता पुलिस

गजल संग्रह : हासिल-ए-सहरा नवर्दी

अब किनारों की बात करता है
दिल सहारों की बात करता है

दूर तक धुंध है अंधेरा है
किन नज़ारों की बात करता है

मैं बनाता हूँ ज़ख़्म को नग़मा (गीत)
तू बहारों की बात करता है

पहले ज़र्रों की रौशनी से गुज़र
क्यों सितारों की बात करता है

अब के गुलशन में हमने देखा है
फूल ख़ारों की बात करता है

ख़ुद क़तारों में रह नहीं सकता
और क़तारों की बात करता है

आशना (परिचित) ग़म से जो नहीं ‘तालिब’
ग़म के मारों की बात करता है

■ मुरलीधर शर्मा ‘तालिब’, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), कोलकाता पुलिस

यह भी पढ़ें : ‘ख़ाकी’ की कलम से ‘गज़ल’ की गली (13)

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