Kolkata Airport के मुख्य रनवे पर उतरते समय पायलट करते हैं कई हिसाब

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कोलकाता : केरल के कोझीकोड एयरपोर्ट पर विमान दुर्घटना के बाद एविएशन सेक्टर का एक शब्द सर्वाधिक चर्चा का विषय बन गया है और वह है ‘टचडाउन जोन’। एयरपोर्ट पर उतरते (लैंडिंग) के समय रनवे के जिस स्थान पर पहली बार विमान जमीन को छुएगी उसे टचडाउन जोन कहा जाता है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि कोझीकोड एयरपोर्ट पर लैंडिंग के समय एअर इंडिया एक्सप्रेस के विमान ने किसी कारणवश उस टचडाउन जोन से आगे बढ़कर रनवे की जमीन को छुआ था। इसके बाद पायलट के काफी प्रयासों के बावजूद निर्धारित स्थान के अंदर विमान को रोक कर खड़ा नहीं करवाया जा सका था। नतीजतन यह भयानक दुर्घटना घट गयी।

कोलकाता एयरपोर्ट पर जशोर रोड की तरफ वाले रनवे पर विमान उतारना भी काफी परेशानी का सबब बन जाता है। कोलकाता एयरपोर्ट पर मुख्य रनवे, जो जशोर रोड की तरफ है, पर उतरने पर मुख्यतः 2 समस्याएं सामने आती है। पहला तो यह कि जशोर रोड पर लगातार गाड़ियों का परिचालन होता रहता है। दूसरा मध्यमग्राम के अंदर एक चिमनी है। जशोर रोड की तरफ के मुख्य रनवे पर विमान की जमीन से उच्चता 50 फुट से कुछ अधिक रखनी पड़ती है। कोलकाता एयरपोर्ट के मुख्य रनवे पर विमान उतारते समय पायलट ‘डिसप्लेस्ड थ्रेशहोल्ड’ नियम का पालन करते हैं यानी उतरते समय पायलट रनवे के अंत से 1400 फुट का क्षेत्र छोड़कर हिसाब करना शुरू करते हैं। पायलट काल्पनिक रूप से यह मान लेते हैं कि जशोर रोड की तरफ से 1400 फुट एयरपोर्ट की तरफ बढ़ जाने के बाद ही रनवे शुरू हो रहा है। इसके बाद विमान 50 फुट की ऊंचाई पर होता है। कोलकाता एयरपोर्ट काफी बड़ा है, इसलिए 1400 फुट की जगह छोड़कर आगे बढ़ने के बाद भी विमान को 10 हजार फुट की जगह मिल जाती है। इस वजह से ही विमानों को कोलकाता एयरपोर्ट पर उतने में कोई खास समस्या नहीं होती है। हालांकि कोझीकोड एयरपोर्ट पर घटी दुर्घटना के बाद कोलकाता एयरपोर्ट के पायलट भी काफी सावधानी बरत रहे हैं।

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