डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘आ अब लौट चलें!’

डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

आ अब लौट चलें!

बहुत दिनों तक मीडिया में रहे छाये
हैंडसम, निकम्मा, नाकारा
और न जाने क्या-क्या कहलाये
सत्य का बिगुल बजाये
जोर-जोर से चिल्लाये
सच कभी नहीं हारता
का अलख जगाये
मगर अचानक एक दिन
सत्यमेव जयते कहने वाला
सत्ता मोह में अटक गया
और सत्ता के गलियारों में
दोबारा भटक गया।
फिर पुराने उसी बाड़े में लौट आया
जहां से खूंटा तोड़कर निकला था
कुछ समर्थकों के साथ
और झटक दिया था हाथ
किन्तु फिर उसूल बदल गया
सिद्धान्त ही छल गया
कुर्सी मोह जो न कराये
लौट के बुद्धू घर को आये।

● डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

यह भी पढ़ें : डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘कुदरत का कहर’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here