डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘हम गरजते नहीं बरसते हैं!’

डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

हम गरजते नहीं बरसते हैं!

इधर हम कोरोना से ले रहे हैं टक्कर
उधर चीन हमारी सीमा पर
चला रहा है युद्ध का चक्कर
वह पीछे हटने में
कर रहा आनाकानी
मगर यह भूल रहा है
यह 1962 का भारत नहीं है
अगर हम अपनी असलियत पर उतर जायें
तो उसे याद आ जायेगी
उसकी मरी नानी।
हम युद्ध नहीं
बुद्ध के हैं अनुयायी
शान्ति से रहना चाहते हैं हम
मगर चीन यह क्यों नहीं समझता
उससे हम किसी मायने में नहीं हैं कम।
वह अन्दर ही अन्दर डरता है
डरकर ही जी रहा है
कम्बल ओढ़ कर जहर पी रहा है।
हमारा इरादा नेक और सच्चा है
चीन के लिए डरना अच्छा है।
हम गरजते नहीं बरसते हैं
और जब हम बरसते हैं
तो कई पीढ़ियों तक दुश्मन
चुल्लू भर पानी के लिए तरसते हैं।

● डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

यह भी पढ़ें : डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘चीन है कि मानता नहीं!’

1 COMMENT

Leave a Reply to डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘बदल गया बंगाल!’ | Nayi Aawaz Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here