डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘सड़क किसकी!’

डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

सड़क किसकी!

रिक्शावाले ने
थोड़ी सी दारू चढ़ा ली
फिर अपनी सवारी
बीच चौराहे खड़ी की
जोर से चिल्लाया
सारे रिक्शेवालों को अपने पास बुलाया
बोला – कौन कहता है
यह सड़क सबकी है
अरे, यह तो मेरे बाप की है।
इतने में एक सिपाही आया
रिक्शे की छतरी पर
एक जोरदार डंडा जमाया
कड़ककर बोला-
क्यों बे! यह सड़क तेरे बाप की है?
रिक्शावाला घबड़ाया
जोर से बड़बड़ाया –
कौन कहता है हुजूर
यह सड़क तो आपके बाप की है।

● डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

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