समाजसेवी, साहित्यकार व व्यवसायी धर्मपाल प्रेमराजका के प्रयाण से बांधाघाट में शोक की लहर

धर्मपाल प्रेमराजका (फाइल फोटो)

हावड़ा : सामाजिक क्षेत्र के लिए फिर एक बेहद बुरी खबर है। लगभग 50 वर्षों से अधिक समय से समाज सेवा से जुड़े विशिष्ट समाजसेवी, साहित्यकार व व्यवसायी धर्मपाल प्रेमराजका का शनिवार की देर रात राजारहाट के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनके पारीवारिक सूत्रों के मुताबिक 76 वर्षीय श्री प्रेमराजका को वर्तमान वैश्‍विक महामारी के संक्रमण की वजह से कुछ दिन पहले अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। अपनी युवावस्था से ही सामाजिक उत्थान के लिए सचेष्ट श्री धर्मपाल प्रेमराजका इन दिनों धु्रव चेरिटेबल ट्रस्ट के बैनर तले हरिद्वार में साधु-संतो के लिए निर्मित अस्पताल के कार्य में जी-जान से जुटे थे।

यूं तो श्री प्रेमराजका कोलकाता-हावड़ा सहित विभिन्न स्थानों की अनेक संस्थाओं से समर्पित रूप से जुड़े थे और नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्त्ता के रुप में उनकी एक अलग पहचान थी लेकिन उन्होंने विशेष रूप से हावड़ा के सलकिया बांधाघाट क्षेत्र में समाजसेवा के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनायी। उन्होंने अपनी युवावस्था से ही बांधाघाट की लगभग 50वर्ष पुरानी संस्था श्री राणीसती भक्त मण्डल जो वर्तमान में जनसेवा भक्त मण्डल के नाम से प्रसिद्ध है के बैनर तले समाज के दीन-हीन लोगों की मदद हेतु स्वयं को जोड़ दिया।

निरंतर सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक व शैक्षणिक गतिविधियों में अपने को सक्रिय रखते हुए समाज की जरूरत के मुताबिक उन्होंने कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनाकर उसे बखूबी अंजाम दिया। सलकिया क्षेत्र में सामाजिक आयोजन के लिए आवश्यक भवन की कमी को दूर करने के लिए यहां पर जी. टी. रोड पर भव्य विशाल कृष्ण भवन के निर्माण में उन्होंने अहम् भूमिका निभाई और इसके संस्थापक ट्रस्टी होने के साथ ही वर्तमान में वे इसके प्रधान सचिव भी थे। उन्होंने कृष्ण भवन के बैनर तले प्रतिवर्ष सैकड़ों बच्चों को पाठ्य-पुस्तकें, बैग इत्यादि के वितरण से लेकर भवन में अनेक कल्याणकारी सेवाओं का शुभारंभ किया, जो वर्तमान में सुचारू रुप से संचालित हैं। श्री प्रेमराजका हावड़ा की श्री राम सेवा समिति ट्रस्ट, अग्रसेन सेवा समिति, गोपाल भवन बांधाघाट, श्री मानस गीता प्रचार परिषद्, श्री राम अखाड़ा, मानव सत्संग समिति, बंगेश्‍वर महादेव मंदिर सरीखी अनेक प्राचीन व प्रमुख संस्थाओं से विशेष रुप से जुड़े थे। इलाके में विश्‍वसनीय किराना व्यवसायी के रूप में अपनी अद्वितीय पहचान रखने वाले श्री प्रेमराजका ने नोटबंदी और वर्तमान में कोरोना की वजह से लॉकडाउन के दौरान लोगों तक जिस तरह से लोगों तक सामान पहुंचाने में सहृदयता दिखायी वो उनकी मानवीय संवेदनाओं का ही परिचायक रही।

इन सबके अलावा श्री प्रेमराजका एक अच्छे लेखक भी थे और किसी भी संदर्भ पर त्वरित रचना के लिए विख्यात थे। अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं पर उनकी रचनाओं ने लोगों पर अमिट छाप छोड़ी। उनकी रचनाओं की कई पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं। उनके अचानक प्रयाण की खबर से लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। अनेक गणमान्य लोगों ने उनकेे प्रयाण को समाज की अपार क्षति बताया है। वे अपने पीछे अपने अनुज ओमप्रकाश एवं पांच पुत्रों राजेन्द्र, नरेन्द्र, सुरेन्द्र, महेन्द्र, कृष्णा सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं।

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