डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘गुटबन्दी’

डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

गुटबन्दी

कविताओं में तुकबंदी मैंने माना
किन्तु फेसबुक पर गुटबंदी
आज पहली बार जाना।
तुम उसे लाइक कर दो
वह तुम्हें कर देगा
तुम उसके पोस्ट पर कमेंट करो
वह तुम्हारे पर कमेंट कर देगा।
और इस अहो रूपंं अहो ध्वनि
के बीच खत्म हो जायेगी
आपकी साहित्यिक कविता
झक मारती रह जायेगी आपकी प्रतिभा
आज लोग पसंद करते हैं
चुटकुले और लतीफा।
आज की कविता में क्या है?
आंय, बांय, सांय जो भी लिखो
खप जायेगा
किसी नये नवेले संपादक को
चाय पिलाओ अखबार में छप जाएगा।
फिर करो न कविता का व्यापार
क्या कर लेगी सरकार?
आराम से साहित्यिक चारागाह में
मुंह गोतकर चरो
मैं कहता हूं किसी से मत डरो!

◆ डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

यह भी पढ़ें : डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘वह थी कौन?’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here