डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘सावन की घटा’

डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

सावन की घटा

पत्नी ने कहा-
देखो कैसी सुहानी छटा है
घिर आई सावन की घटा है
बूंदें छहरा रही हैं
पुरुवाई लहरा रही है
बाग-बगीचों में अजब मस्ती है
सरस सारी बस्ती है।
ऐसे में सब कुछ बदल रहा है
मेरा मन भी बाहर जाने को मचल रहा है।
चलो झूला झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें
थोड़ी देर के लिए
घर-द्वार भूलें।
मेरी बात सुनकर
वे जोर से गुर्राये
मुझे अपने पास बुलाये
जोर से चिल्लाये
यहां कोरोना के चलते
मेरी खटिया खड़ी है
और तुम्हें वर्षा विहार की पड़ी है?

● डॉ. एस. आनंद, वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, पत्रकार, व्यंग्यकार

यह भी पढ़ें : डॉ. एस. आनंद की कलम से व्यंग्य कविता ‘कितने अच्छे हैं ये!’


1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here